नर्सों की बहादुरी - bravery of nurses

 नर्सों की बहादुरी -


कोरोना महामारी का दौर था। चारों ओर अफरातफरी मची थी। लोग अपने घरों में बंद थे, अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगी थी, और हर चेहरा चिंता से भरा हुआ था। लेकिन ऐसे मुश्किल वक्त में कुछ लोग ऐसे भी थे जो निडर होकर दूसरों की सेवा में लगे थे। उन्हीं में से एक थीं – नर्स राधिका।



राधिका एक सरकारी अस्पताल में काम करती थीं। रोज सुबह जल्दी उठकर पीपीई किट पहनतीं, अपना छोटा-सा बैग उठातीं और बिना किसी डर के अस्पताल के कोविड वार्ड की ओर निकल पड़तीं। उनके घरवाले, खासकर माँ, रोज उन्हें रोकने की कोशिश करतीं, “बेटी, जान का खतरा है, थोड़ा रुक जा।” लेकिन राधिका की आंखों में एक अलग ही चमक होती। वो मुस्कुरा कर कहतीं, “माँ, कोई तो होना चाहिए जो इन मरीजों की देखभाल करे। अगर हम ही पीछे हट जाएंगे, तो कौन खड़ा होगा?”


राधिका दिन-रात कोविड मरीजों की सेवा में जुटी रहतीं। पीपीई किट में घंटों पसीने से भीगकर भी वे हर मरीज को दवा देतीं, खाना खिलातीं, उनका हौसला बढ़ातीं। कई मरीज तो उन्हें “देवी” कहकर बुलाने लगे थे।



एक दिन अस्पताल में एक बुज़ुर्ग मरीज भर्ती हुए। उन्हें तेज बुखार था, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। कोई रिश्तेदार नहीं आया। राधिका ने खुद उनकी देखभाल की। बुज़ुर्ग ने कांपती आवाज़ में कहा, “बेटी, मुझे डर लग रहा है।” राधिका ने उनका हाथ थामते हुए कहा, “मैं हूं न बाबा, आप ठीक हो जाएंगे।”


उनकी सेवा और स्नेह ने उस बुज़ुर्ग को कुछ ही दिनों में ठीक कर दिया। छुट्टी के दिन बुज़ुर्ग ने कहा, “मैं तो जिंदगी की उम्मीद छोड़ चुका था, लेकिन तुम्हारे प्यार और हिम्मत ने मुझे जीने का हौसला दिया।”


ऐसे ही न जाने कितने मरीजों को राधिका ने उम्मीद और जीवन दिया। कई बार खुद को बुखार हुआ, कमजोरी महसूस हुई, लेकिन वो रुकी नहीं। उनके जैसे हज़ारों नर्सें दिन-रात बिना थके, बिना डरे, बस लोगों की सेवा में जुटी रहीं।


राधिका की कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि उन तमाम नर्सों की बहादुरी का प्रतीक है जो हर आपदा में अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की रक्षा करती हैं। उनकी बहादुरी, सेवा और समर्पण सचमुच काबिले तारीफ है।


आज जब हम सुरक्षित हैं, तो उसके पीछे नर्सों जैसे सच्चे योद्धाओं का ही हाथ है। उनके हौसले को सलाम!


अगर चाहो तो इस कहानी को किसी विशेष प्रतियोगिता, भाषण या पोस्टर में भी इस्तेमाल कर सकते हो।

कोरोना महामारी का दौर था। चारों ओर अफरातफरी मची थी। लोग अपने घरों में बंद थे, अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगी थी, और हर चेहरा चिंता से भरा हुआ था। लेकिन ऐसे मुश्किल वक्त में कुछ लोग ऐसे भी थे जो निडर होकर दूसरों की सेवा में लगे थे। उन्हीं में से एक थीं – नर्स राधिका। 

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