भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति बैठक

 भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति 

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की स्मारक नीति बैठक


 भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की स्मारक नीति बैठक एक महत्वपूर्ण आर्थिक प्रक्रिया है, जिसमें देश की छात्रावास स्थिति को स्थिर और स्थिर बनाए रखने का उद्देश्य रखा गया है।  यह बैठक हर दो महीने में होती है और इसमें स्मारक नीति समिति (मौद्रिक नीति समिति - एमपीसी) का भाग सूचीबद्ध होता है।  इस समिति में छह सदस्य होते हैं, जिनमें तीन सदस्य आरबीआई की ओर से और तीन सरकार नामित होते हैं।


 आदर्श नीति बैठक का मुख्य उद्देश्य देश में नामांकन को नियंत्रित करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है।  बैठक में रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) और स्टेटच्यूटरी एनामॅसिटी रेशियो (एसएलआर) जैसे प्रमुखों की समीक्षा की जाती है।

 रेपो रेट से वह आरबीआई बैंकों को अल्पावधि ऋण देता है।  जब रेपो रेट घटाई जाती है, तो बैंक में भी निवेश पर ऋण शामिल होता है, जिससे निवेश और उपभोक्ता में वृद्धि होती है।  वहीं, रेपो दर वृद्धि से ऋण महंगा हो जाता है, जिससे मांग में कमी आ जाती है और स्वामित्व नियंत्रित हो जाता है।




 2024-25 की शुरुआत में हुई स्मारक नीति बैठक में आरबीआई ने रिजर्व बैंक रेट को 6.50% पर स्थिर रखा है, जो यह संकेत देता है कि बैंक के पदों को बरकरार रखना है और अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखना है।  खाद्य पदार्थों के समूह और वैश्विक आर्थिक हितों के बीच आरबीआई ने यह निर्णय लिया है।

 इसके साथ ही, बैठक में यह भी बताया गया कि भारतीय उद्योग में उद्योग दिखाई दे रही है - मूल्य वृद्धि दर में सुधार, इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में स्थिरता और विदेशी निवेश में रुचि बनी हुई है।  साथ ही, आरबीआई डिजिटल भुगतान और रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को भी बढ़ावा दे रहा है।

 नीति की घोषणाओं का असर आम जनता, पार्टियों, सहयोगियों और सहयोगियों पर पड़ता है।  उदाहरण स्वरूप, यदि चार्टर्ड राइटर स्थिर रहते हैं, तो होम लोन, कार लोन आदि पर रुचि ब्याज में ज्यादा बदलाव नहीं होता है, जिससे उद्यमियों को राहत मिलती है।


 निष्कर्षः, आरबीआई की अमूर्त नीति बैठक में भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाती है।  यह न केवल प्रतीकात्मक नियंत्रण पर आधारित है, बल्कि आर्थिक विकास को धीरे-धीरे आगे बढ़ाने का माध्यम भी बनाया गया है।  मूलतः इसकी घोषणा कंपनियों, बैंकों और आम जनता की गहरी नजर बनी हुई है।

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